राज्य के शिक्षकों को ‘बिहार शिक्षा रत्न 2025’ से नवाज़ा गया
पटना :- शिक्षक दिवस की पूर्व संध्या पर सामाजिक एवं शैक्षणिक स्वयंसेवी संस्था “बिहारी एक पहचान” द्वारा राजधानी पटना में एक भव्य एवं ऐतिहासिक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर पूरे बिहार से आए चुनिंदा शिक्षकों को उनके शिक्षण-कार्य, मार्गदर्शन और शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए “बिहार शिक्षा रत्न 2025” सम्मान से अलंकृत किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारत के प्रख्यात शिक्षाविद डॉ. मधुरेश सर ने शिक्षकों को अंगवस्त्र एवं प्रतीक चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया।
विशिष्ट अतिथि के रूप में एम.के. पांडेय, डॉ. उषा कुमारी, डॉ. अशोक कुमार सिन्हा, डॉ. सूर्यशंकर कुमार, कुमार पंकज सिन्हा एवं शिक्षा क्षेत्र से जुड़े अनेक गणमान्य विद्वान उपस्थित रहे, जिनकी उपस्थिति ने समारोह की गरिमा को और बढ़ाया। इस वर्ष जिन शिक्षकों को ‘बिहार शिक्षा रत्न 2025’ से नवाज़ा गया उनमें प्रमुख नाम हैं – पंकज कुमार (स्टार क्लासेस, बंधुगंज), प्रेम कुमार (जे.पी. क्लासेस, चंढोस), रजनीश कुमार (आर कॉम्पिटिटिव क्लासेस, घोषी), आदित्य कुमार (नॉलेज वर्ल्ड, पटना सिटी), वकील कुमार (टैलेंट कोचिंग, सेरथूआ), रोशन कुमार जग्गा (मां कालिका शिक्षण संस्थान, पूर्णिया), मुकेश कुमार एवं नीतीश कुमार (टॉपर क्लासेस, जमुई), नीरज कुमार (हरिओम क्लासेस, राजगीर), प्रो. सरोज कुमार (टैलेंट कोचिंग, दुल्हिनबाजार), प्रिया कश्यप (द इंग्लिश कैंपस, मोतिहारी), काजल भारती (मसौढ़ी) शामिल रहे।
संस्था के संस्थापक सह राष्ट्रीय अध्यक्ष बिहारी भईया ने अपने संबोधन में कहा – “शिक्षक केवल ज्ञान प्रदान करने वाले नहीं होते, बल्कि वे समाज और राष्ट्र निर्माण के सशक्त आधार हैं। ‘बिहार शिक्षा रत्न 2025’ उन सभी गुरुओं को समर्पित है जिन्होंने कठिन परिस्थितियों के बावजूद शिक्षा को सेवा का माध्यम बनाया और नई पीढ़ी को सफलता की राह दिखाई। हमारा उद्देश्य है कि इन आदर्श शिक्षकों को सम्मानित कर समाज में शिक्षा की रोशनी और तेजी से फैले।”
मौके पर मुख्य अतिथि डॉ. मधुरेश सर ने कहा – “आज जिन शिक्षकों को सम्मानित किया गया है, वे बिहार की नई पीढ़ी को न केवल पढ़ा रहे हैं, बल्कि उन्हें चरित्र, संस्कृति और मूल्यों का पाठ भी पढ़ा रहे हैं। ऐसे शिक्षक ही असली राष्ट्र निर्माता हैं।” वहीं विशिष्ट अतिथि डॉ. एम.के. पांडेय ने कहा – “शिक्षक दिवस के इस अवसर पर ऐसे समर्पित गुरुओं को सम्मानित होते देखना गर्व का क्षण है। शिक्षा से ही समाज में बदलाव संभव है।” डॉ. अशोक कुमार सिन्हा ने कहा – “एक सच्चा शिक्षक वही है जो कठिनाइयों के बावजूद विद्यार्थियों में आत्मविश्वास जगाए। ‘बिहारी एक पहचान’ का यह प्रयास सराहनीय है।”
सम्मानित शिक्षकों ने भी अपनी भावनाएँ प्रकट कीं। पंकज कुमार (स्टार क्लासेस, बंधुगंज) ने कहा – “यह सम्मान मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरे सभी विद्यार्थियों की मेहनत का परिणाम है। यह मुझे और अधिक जिम्मेदारी का एहसास कराता है।” वहीं प्रिया कश्यप (द इंग्लिश कैंपस, मोतिहारी) ने कहा – “महिला शिक्षकों को भी इस मंच से पहचान मिलना समाज में सकारात्मक संदेश देता है। मैं इस सम्मान को अपनी सभी छात्राओं को समर्पित करती हूँ।”
समारोह के दौरान पूरे हॉल को शिक्षा और संस्कृति की झलकियों से सजाया गया था। मंच पर प्रेरणादायक उद्धरणों और बैनरों के साथ शिक्षकों के योगदान को दर्शाया गया। छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रम, स्वागत गीत और कविताओं ने माहौल को भावपूर्ण बना दिया। हॉल में मौजूद अभिभावक और समाजसेवी शिक्षकों को सम्मानित होते देख भावुक हो उठे और बार-बार तालियों की गड़गड़ाहट से सभागार गूंजता रहा।
कार्यक्रम के अंत में संस्था ने यह संकल्प लिया कि – आने वाले वर्षों में भी बिहार के हर जिले से प्रतिभाशाली और समर्पित शिक्षकों को खोज कर सम्मानित किया जाएगा। शिक्षा जगत को अनोखी दिशा देने वाले शिक्षकों की उपलब्धियों को दस्तावेज़ के रूप में संरक्षित किया जाएगा। छात्रों और शिक्षकों के बीच संवाद, कार्यशालाएँ एवं प्रशिक्षण शिविर आयोजित कर बिहार की शिक्षा को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दी जाएगी।
इस भव्य समारोह को सफल बनाने में संस्था की पूरी टीम का अहम योगदान रहा। जिनमें प्रमुख रूप से राष्ट्रीय सचिव (प्रीतम सोनी), कार्यक्रम प्रभारी (रागिनी श्रीवास्तव), राष्ट्रीय उप सचिव (सीमा अरोड़ा), राष्ट्रीय सचिव (रविंद्र कुमार), स्वागताध्यक्ष (मयंक मौलेश्वर), कार्यक्रम प्रबंधक (शिशिर कुमार), संयोजक (अरविंद कुमार), सह संयोजक (विनोद कुमार गुप्ता), प्रदेश अध्यक्ष (डॉ. निखिल कुमार), प्रदेश सचिव (डॉ. सुजाता सिंह), कोषाध्यक्ष (धर्मेंद्र कुमार), आयोजन प्रभारी (स्वीटी संगम), आर्यन कुमार गुप्ता, सन्नी कुमार, नचिकेता तथा अन्य समर्पित कार्यकर्ताओं ने सक्रिय भूमिका निभाई।
“बिहारी एक पहचान” का यह आयोजन न केवल शिक्षकों को सम्मान देने का एक प्रयास था, बल्कि बिहार की शिक्षा जगत को नई ऊँचाइयों तक ले जाने का संकल्प भी। यह आयोजन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनेगा।
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